The Definitive Guide to Shodashi

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

Her form is said for being by far the most gorgeous in the many 3 worlds, a splendor that isn't just physical but also embodies the spiritual radiance of supreme consciousness. She is often depicted being a resplendent sixteen-yr-old Female, symbolizing Everlasting youth and vigor.

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

She's depicted having a golden hue, embodying the radiance in the soaring Sunlight, and is commonly portrayed with a 3rd eye, indicating her knowledge and Perception.

The story is really a cautionary tale of the power of want as well as the necessity to produce discrimination through meditation and next the dharma, as we development within our spiritual path.

Her splendor can be a gateway to spiritual awakening, producing her an object of meditation and veneration for anyone trying to find to transcend worldly dreams.

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी read more हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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